Swachh Bharat Mission Urban 2.0

देशभर के शहरों में कूड़ा निस्तारण के साथ ऊर्जा भी उत्पन्न कर रहे ‘वेस्ट टू एनर्जी’ प्लांट

• अपशिष्ट से ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार दिशा दिखा रही पिंपरी चिंचवाड़ महानगर पालिका की पहल
• पहले यहां जनरेट की गई बिजली से होता था प्लांट्स का संचालन, अब वेस्ट से उत्पन्न हो रही ऊर्जा का उपयोग कर रही है महानगर पालिका



नई दिल्ली। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जहां देशभर के शहरों ने अपशिष्ट प्रबंधन और स्रोत पृथक्करण के माध्यम से कचरा खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं इन प्रयासों के बीच अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य हासिल करना अभी भी बाकी था। हालांकि इस दौरान विभिन्न शहरी स्थानीय निकाय कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए कई तरह के इनोवेशंस पर काम कर रहे थे और इस दिशा में उनके प्रयोग और अनुसंधान कड़ी मशक्कत के साथ निरंतर जारी रहे। अब हम विकसित देशों की तरह कचरे से ऊर्जा उत्पादन करने की दिशा में अग्रसर हैं। इतना ही नहीं, कुछ शहर तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स में बनने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल प्लांट्स को चलाने में किया। वहीं इस दिशा में सबसे खास उपलब्धि महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ ने हासिल की है, जहां नगर निगम के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स में बनी ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है।


ठोस कूड़ा प्रबंधन के तहत पिंपरी चिंचवड़ महानगर पालिका और एंटोनी लारा रिन्यूएबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की साझेदारी में मोशी में 14 मेगावाटबिजली उत्पन्न करने की क्षमता वाले ‘वेस्ट टू एनर्जी’ प्लांट का उद्घाटन 1 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। यहां 700 टन प्रतिदिन (TPD) सूखे कूड़े के इस्तेमाल से हर दिन 14 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है, यह कचरे से बिजली उत्पादन करने वाला महाराष्ट्र का अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है। कुल जनरेट होने वाली 14 मेगावाट बिजली में से 2 मेगावाट का उपयोग इस प्लांट के संचालन में किया जा रहा है। वहीं बाकी 12 मेगावाट का इस्तेमाल महानगर पालिका द्वारा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के लिए किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से महानगर पालिका के नियमित आने वाले बिजली के बिल में 5 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से लगभग 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक की बचत होगी।



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पिंपरी चिंचवाड़ शहर में प्रतिदिन लगभग 1150 मैट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग होती है, जिसमें से 700 मैट्रिक टन सूखा कचरा है और बाकी 450 मैट्रिक टन गीला कचरा कंपोस्ट में परिवर्तित किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट भारतीय शहरों में एकत्रित कचरे के गुणों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है और उसको जलाकर वैज्ञानिक विधि द्वारा ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। इतना ही नहीं, अब बिजली संयंत्र से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का उपयोग उन्हें पावर ग्रिड से जोड़कर भी किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 11.6 मेगावाट बिजली निकटवर्ती सबस्टेशन के ग्रिड को निर्यात की जा रही है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड के तहत विकसित किया गया यह प्रोजेक्ट 21 साल की अवधि तक चलेगा, जिसपर 300 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इस प्रोजेक्ट में 1000 टीपीडी क्षमता वाली मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर और 500 टीपीडी क्षमता का कंपोस्ट प्लांट शामिल है। इस प्रोजेक्ट में ट्रीटेड वॉटर इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके चलते स्वच्छ जल की बचत की जा रही है।


कर्नाटक में बेंगलुरु राज्य स्थित कन्नाहल्ली में साल 2021 में एक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। यहां बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) और सैटारेम एंटरप्राइसेस प्राइवेट लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत प्लांट पर निर्मित ऊर्जा बिजली कंपनियों को बेची जा सकती है। इस तरह से केवल बेंगलुरु के लैंडफिल पर जाने वाले कई हजार टन कचरे का भार कम करने में यह प्लांट मददगार सिद्ध हो सकता है। इसी तरह से हरियाणा के सोनीपत स्थित मुर्थल में एक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का शुभारंभ भी साल 2021 में किया गया। यहां जेबीएम ग्रुप ने पीपीपी मॉडल पर प्लांट विकसित करने के साथ सोनीपत-पानीपत क्लस्टर से हर दिन निकलने वाले 800 टन वेस्ट को प्रोसेस कर 8 मेगावाट पावर जनरेटशन की सुविधा दी। इसी तरह से देशभर के शहरों द्वारा अब तेजी से शहरों में वेस्ट को एनर्जी में परिवर्तित करने के लिए प्लांट लगाने पर जोर दिया जा रहा है और उससे बड़ी उपलब्धि यह है कि इस उर्जा को तैयार कर शहरी स्थानीय निकाय बिजली बेचकर सर्कुलर इकोनॉमी की दिशा एक और मजबूत कदम बढ़ा रहे हैं।

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देश की राजधानी दिल्ली भी वेस्ट टू एनर्जी के क्षेत्र में ठोस कदम बढ़ाए जा रहे हैं। यहां 4 वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं, जिसमें से दो जगह प्रतिदिन 2-2 हजार टन वेस्ट से 20-20 मेगावाट एनर्जी जनरेट की जा रही है। इसके साथ ही एक प्लांट 2400 टीपीडी क्षमता के साथ 24 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा है और एक जगह 1300 टीपीडी क्षमता का प्लांट 12 मेगावाट ऊर्जा उत्पन्न कर रहा है। इस तरह दिल्ली में लगभग 7600 टीपीडी वेस्ट से कुल 76 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है।

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