Swachh Bharat Mission Urban 2.0

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स्वच्छ स्वभाव से रोशन संस्कारों वाली दिवाली

स्वच्छ पर्व बनाने पर रहा शहरी स्थानीय निकायों का जोर, हर शहर में सुनाई दिया स्वच्छ स्वभाव वाले उत्सवों का शोर, स्वच्छता के संस्कारों से उजली दिखी दिवाली महापर्व की भोर

सभी त्योहारों का अपना अलग महत्व होता है और हर त्योहार में कोई न कोई संदेश छुपा होता है। रोशनी का सबसे बड़ा महापर्व दिवाली भी जहां एक ओर बुराई खत्म कर अच्छाई अपनाने पर जोर देता है, वहीं अंधेरा दूर कर अपना घर-आंगन रोशन करने का भी संदेश देता है। इतना ही नहीं, दिवाली के साथ साफ-सफाई की परंपरा भी जुड़ी है, उसका भी विशेष सांस्कृतिक महत्व है। त्योहार जितना बड़ा होता है, उतने ही बड़े स्तर पर उत्सव मनाएं जाते हैं और स्वच्छ सुरक्षित उत्सव सुनिश्चित करने की चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं। इसी तरह हमारे सबसे बड़े त्योहार दिवाली के दौरान व्यापक स्तर पर होने वाले उत्सवों के बाद बहुत सारा कचरा निकलता है, जिसके चलते देश भर के शहरों में बेहतर स्वच्छता व्यवस्थाएं बनाए रखना चुनौतीपूर्ण काम होता है। मगर इसके बावजूद हमारे शहर स्वच्छता का स्वभाव अपने संस्कारों में उतार कर इस बड़ी चुनौती का प्रशंसनीय तरीके से सामना कर रहे हैं। बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए हमारे शहरों में न सिर्फ त्योहारों से पहले सफाई की जा रही है, बल्कि उत्सवों के दौरान और पर्व का जश्न संपन्न होने के बाद भी संपूर्ण समर्पण के साथ काम किया जा रहा है।

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आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत इस वर्ष भी ‘स्वच्छ दिवाली, शुभ दिवाली’ अभियान की शुरुआत की गई। इस बार अभियान में दिवाली से पहले, उत्सव के दौरान और पर्व का जश्न खत्म होने के बाद साफ-सफाई पर जोर तो दिया ही गया, साथ ही कुछ समय पहले संपन्न हुए ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़े की थीम के तहत ‘स्वच्छता लक्षित इकाइयों’ (CTUs) की स्वच्छता बनाए रखने का संकल्प भी जारी रखा गया। दिवाली की सफाई में घरों से निकलने वाले अप्रयुक्त सामान ‘रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकल’ (RRR) केंद्रों पर दान करने की प्रक्रिया को भी अभियान का हिस्सा बनाया गया और नागरिकों को इससे जोड़ने के लिए www.swabhavswachhata.in पोर्टल भी शुरू किया गया। नागरिकों से ईको फ्रेंडली यानी पर्यावरण के लिए हितकारी उत्सव मनाने की अपील की गई और प्रधानमंत्री की अपील पर दिवाली पर्व के दौरान ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय विक्रेताओं से सामान खरीदने पर भी जोर दिया गया।

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स्वच्छ दिवाली, शुभ दिवाली अभियान के अंतर्गत देश भर में शहरी स्थानीय निकायों द्वारा किए गए विशेष प्रयासों का असर भी खूब दिखाई दिया, जिसमें सबसे पहले शहरों ने ‘स्पेशल प्री दिवाली सैनिटेशन ड्राइव’ चलाईं और शहरों को स्वच्छ एवं सुरक्षित दिवाली मनाने के लिए तैयार किया। महाराष्ट्र के मीरा भायंदर से दिवाली से पहले सफाई अभियान की सुंदर तस्वीरें निकल कर सामने आईं, जहां महापुरुषों और शहीदों की प्रतिमाओं की धुलाई के साथ-साथ हरित क्षेत्रों में छिड़काव और सफाई में जुटे सफाईमित्रों की झलक देखने को मिली।

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वहीं, देश के दूसरे छोर पर अंडमान एवं निकोबार में श्री विजया पुरम में आरआरआर केंद्र पर नागरिकों ने दिवाली के दौरान अपने ऐसे अनुपयोगी सामान दान किए, जो दूसरों या जरूरतमंदों के काम आ सकते हैं। इस तरह से इन केंद्रों के माध्यम से जरूरतमंदों की दिवाली बेहतर बनाने का भी प्रयास किया गया।

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त्रिपुरा के पानीसागर में ‘वोकल फॉर लोकल’ के विचार को बढ़ावा देने के लिए ‘दीया और कैंडल स्टॉल’ को जगह दी गई, जहां ग्राहकों को ईको फ्रेंडली दिवाली मनाने का संदेश दिया गया। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए उदयपुर माता त्रिपुरा सुंदरी मंदिर ग्राउंड में दिवाली मेले के दौरान ईको फ्रेंडली उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। त्रिपुरा के मेलाघर में स्वयं सेवा समूहों (SHGs) से जुड़ी महिलाओं ने ईको फ्रेंडली दिवाली के लिए समर्पण दिखाते हुए मिट्टी के सुंदर दीये बनाए।

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इसी क्रम में तेलंगाना के हुस्नाबाद में स्थानीय विक्रेताओं से दिवाली के सामान खरीदने के लिए नागरिकों को जागरूक किया गया। चंडीगढ़ में ‘प्रारंभ सेंटर्स’ पर दिवाली, गोवर्धन और भैयादूज तक, सभी त्योहारों से जुड़े ईको फ्रेंडली उत्पाद उपलब्ध कराए गए। चंडीगढ़ के आरआरआर केंद्रों पर भी काफी संख्या में नागरिकों ने अपने लिए अनुपयोगी हो चुके सामान को दान किया।

राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों के शहरों में दिवाली पर्व के दौरान निरंतर स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए कचरा संग्रहण वाहनों की सेवा बढ़ाई गई। उत्तर प्रदेश में अयोध्या और बिहार के पटना जैसे शहरों में दीपोत्सव के बाद विभिन्न स्थानों पर दिन और रात के समय भी साफ-सफाई के काम जारी रखे गए। जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों साफ-सफाई से लेकर राजस्थान के पाली में युवाओं के श्रमदान तक, देश के हर हिस्से में अभियान का असर देखने को मिला और जयपुर में दिवाली के बाद विशेष सफाई अभियान चलाया गया। ओडिशा के पुरी स्थित पिपली नोटिफाइड एरिया, तेलंगाना के नारायणपेट और पुद्दुचेरी के ओउलगरेट सहित विभिन्न शहरी निकायों में कई जगह स्वच्छता लक्षित इकाइयों को दिवाली के दौरान स्वच्छ बनाया गया।

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दिवाली के जश्न के बाद शहरी स्थानीय निकायों द्वारा सफाई के साथ-साथ वातावरण को स्वच्छ रखने के प्रयास भी किए गए। इसके लिए मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में दिवाली के बाद सफाई के लिए विशेष अभियान चलाया गया, जिसके तहत तड़के 4 बजे से ही सफाई शुरू कर दी गई। यहां दिवाली के बाद प्रदूषण मुक्त शहर बनाने के लिए ‘गियर अप टू क्लीन एयर’ पहल के तहत ‘स्वच्छता से स्वच्छ वायु की ओर’ के संदेश के साथ स्प्रिंकलर वाहनों से पेड़-पौधों पर पानी का छिड़काव किया गया।

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वहीं ग्वालियर में दिवाली के बाद सफाई का काम तेजी से किया गया। असम के गुवाहाटी शहर में केले के पत्तों में दीये जलाकर मनाई जाने वाली पारंपरिक दिवाली के बाद वेस्ट केले के पत्तों को हाथियों के खाने के लिए भेजा गया। इस तरह से देश के हर कोने में कुछ ही समय के अंतराल में लाखों सफाईमित्रों ने हजारों टन कचरा साफ किया।

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