स्वच्छता की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम, एक दिन हम सभी की जीवनशैली का हिस्सा बना जाएगा, युवा पीढ़ी के संस्कारों में समाकर हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बन जाएगा, एक समय ऐसा विचार भी कल्पनाओं से परे हुआ करता था। मगर हमारे देश में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान से शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन ने इन कल्पनाओं को न सिर्फ पंख दिए, बल्कि एक परिवर्तनकारी अभियान बनकर ऐसी उड़ान भरी, जिसकी धमक विश्व स्तर पर सुनाई दी। हालांकि इस अभियान की सफलता सरकार के लिए इतनी आसान भी नहीं थी, इसको देश के हर एक नागरिक ने अपने स्तर पर श्रमदान कर सफल बनाया है। यही वजह है कि एक सामान्य दिखने वाला अभियान आज जनांदोलन बन चुका है।
बीते 10 वर्षों में यह अभियान हमारी रगों में इस कदर रच बस गया है कि अब हमारे उत्सवों, समारोहों से लेकर पर्वों और हर एक विशेष अवसर पर इसकी छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। बीते कुछ दिनों में दशहरा, नवरात्रि और दुर्गा पूजा से लेकर दिवाली तक, हर पर्व पर स्वच्छता के इस मिशन का असर देखने को मिला। हाल ही में संपन्न हुए छठपूजा महापर्व और कुछ दिनों पहले ही शुरू हुए उत्तर प्रदेश के गंगा धाम मेले में देखने को मिल रहा सफाईमित्रों का संपूर्ण समर्पण भी इस स्वच्छता मिशन के क्रांतिकारी प्रभाव को परिभाषित और प्रमाणित करता है।
सूर्य उपासना का अनुपम लोकपर्व छठपूजा, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है। इसे मैथिल, मगही और भोजपुरी समाज से आने वाले नागरिकों का सबसे बड़ा पर्व और संस्कृति का अहम हिस्सा बताया गया है। इसलिए छठ पर्व बिहार में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है, मगर इस बार छठपूजा के दौरान छठ घाटों पर स्वच्छता सुविधाओं के मामले में उत्तर प्रदेश के शहरों ने भी अग्रणी भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार के अलावा भी देश भर के विभिन्न हिस्सों में छठ घाटों की सफाई पर शहरों का जोर रहा।
उत्तर प्रदेश में छठपूजा महापर्व की संस्कृति के संग स्वच्छता के संस्कारों को जोड़ने के लिए अद्वितीय प्रयास किए गए। कानपुर में छठपूजा के दौरान न सिर्फ स्वच्छता सुनिश्चित की गई, बल्कि घाटों को सुंदर स्वरूप भी दिया गया। यहां लोकगीत-संगीत के बीच छठपूजा की झांकियां, दीवारों पर पेंटिंग, रंगोली बनाने और घाटों के किनारे सफाई के साथ-साथ पानी से कचरा निकालने का काम किया गया।
नगर निगम की ओर से छठ व्रतियों और आगंतुकों के लिए हेल्प डेस्क भी लगाए गए। यहां स्वच्छ शौचालयों की व्यवस्था की गई, साथ ही स्वच्छता संबंधी आदतें अपनाने के लिए जागरूक भी किया गया। एमआरएफ स्टॉल, ऑर्गेनिक वेस्ट सहित अन्य डस्टबिन की व्यवस्था, ऑन द स्पॉट कंपोस्टिंग के अलावा ‘सेल्फी पॉइंट’ भी बनाए गए, हस्ताक्षर अभियान चलाकर स्वच्छता संकल्प दिलाए गए, जिनपर श्रद्धालुओं ने सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दीं।
प्रयागराज में छठ घाटों पर ‘प्लास्टिक हाइस्ट’ के माध्यम से प्लास्टिक मुक्त एवं पर्यावरण हितकारी पर्व मनाने के लिए जागरूक किया गया। गोरखपुर में सभी छठपूजा कार्यक्रमों को ‘जीरो वेस्ट छठ पूजा’ अभियान पर केंद्रित रखा। आगरा के पार्वती घाट पर भी छठ पर्व के लिए विशेष स्वच्छता इंतजाम किए गए। वहीं सहारनपुर में अर्पण कलश के रूप में पूजन सामग्री के लिए विशेष डस्टबिन रखवाए गए। स्वच्छता के लिए यह समर्पण छठपूजा आयोजन संपन्न होने के बाद भी दिखा, जहां कुछ ही घंटों में स्वच्छता फिर से सुनिश्चित की गई।
बिहार के पटना नगर निगम क्षेत्र में छठ घाटों की स्वच्छता के लिए सफाईमित्र दिन-रात जुटे रहे। गया में छठ घाटों पर भी क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत स्प्रिंकलर्स वाहनों के माध्यम से निरंतर छिड़काव कराया गया।
इसी तरह सोनपुर, आरा, बेगूसराय, हिलसा, काको, हाजीपुर और नालंदा सहित विभिन्न नगर निगम क्षेत्रों में छठपूजा के दौरान और बाद में सफाई के साथ-साथ सुंदरता पर भी विशेष ध्यान दिया गया।
यूपी-बिहार ही नहीं, अन्य राज्यों में भी शहरों ने छठपूजा के दौरान नदियों के घाटों की सफाई कराई गई। गुवाहाटी नगर निगम क्षेत्र में भी छठपूजा के दौरान निरंतर घाटों को स्वच्छ बनाया गया। इंदौर नगर निगम द्वारा लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरीय स्वच्छता कार्य पूर्ण किए गए।
यहां भी निगम द्वारा साफ-सफाई, रंगाई-पुताई के साथ श्रद्धालुओं के लिए आयोजन के दौरान और समापन के बाद विशेष व्यवस्थाएं की गईं।
आस्था की नगरी उत्तर प्रदेश में इस बार छठपूजा का भव्य स्तर पर आयोजन हुआ और शुभारंभ से समापन तक स्वच्छता चर्चा के केंद्र में रहीं। अब उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कार्तिक महीने में लगने वाले गंगा मेलों का शुभारंभ हो चुका है। ऐसे में छठपूजा के दौरान सफाई व्यवस्थाएं संभालने वाले सफाईमित्रों ने अब गंगा घाट मेलों की जिम्मेदारी संभाल ली है। अमरोहा के ‘तिगरी गंगा धाम मेले’ से पूर्व ही यहां साफ-सफाई के काम शुरू हो चुके थे। महीने भर चलने वाले इस मेले की शुरुआत भी हो चुकी है, तो यहां हर दिन सुबह-शाम निरंतर सफाई हो रही है। कार्तिक के महीने में लखनऊ के इंदिरा डैम पर भी तीन दिवसीय मेला लगता है, वहां भी ऐसे ही इंतजाम किए गए हैं। बुलंदशहर के अनूपशहर में भी कार्तिक मेला बेहतर स्वच्छता सुविधाओं का साक्षी बन रहा है और हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में भी मशहूर मेले के दौरान ऐसे ही नजारे देखने को मिल रहे हैं। ये अभिनव प्रयास दर्शाते हैं कि स्वच्छता हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुकी है और देश भर में शहरी स्थानीय निकाय बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित कर पर्वों को स्वच्छता से सुसज्जित कर रहे हैं।
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