उत्तराखंड में रुद्रपुर और मसूरी नगर निगम ने कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाते हुए कचरे से बिजली और खाद उत्पादन की शुरुआत की है। बढ़ती जनसंख्या और कचरे के बढ़ते ढेर से निपटने के लिए इन दोनों ने 'वेस्ट टू एनर्जी' विकल्प को अपनाया, जिससे न केवल कचरे का निस्तारण हो रहा है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ ऊर्जा और जैविक खाद का भी उत्पादन हो रहा है। रुद्रपुर नगर निगम में प्रतिदिन बड़ी मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है, जिसका उपयोग अब इन नवाचारों के जरिए किया जा रहा है।
रुद्रपुर और मसूरी में शहरी करण के चलते शहरों में कचरे का उत्पादन दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है और नगर निकायों को स्वच्छता से लेकर पर्यावरणीय प्रदूषण तक की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रुद्रपुर नगर निगम में प्रतिदिन लगभग 105 से 118 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है, जिसका उपयोग 'वेस्ट टू एनर्जी' के तहत बिजली और खाद उत्पादन में किया जा रहा है।
50 टन प्रति दिन (TPD) क्षमता का सीबीजी प्लांट, प्रतिदिन औसतन 10 टन गीला कचरा प्रोसेस करता है। यह प्लांट प्रति माह 6 किलोवाट ऊर्जा और 34,000-38,000 क्यूबिक मीटर बायो गैस का उत्पादन करता है, जिसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
नगर निगम ने नवंबर 2022 में पीपीपी मॉडल के तहत वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट पर काम शुरू किया और अब यह प्रतिदिन छह किलोवाट बिजली और प्रतिदिन उत्पन्न हो रहे कचरे से जैविक खाद बना रहा है। इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 50 टन कचरे को नष्ट करने की है, लेकिन वर्तमान में यह प्रतिदिन 30 टन कचरे का उपयोग कर रहा है, जिससे बिजली और जैविक खाद "कल्याणी" का उत्पादन हो रहा है।
मसूरी नगर पालिका ने भी वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट में उत्पादन शुरू किया है। यह प्लांट पीपीपी मॉडल में काम करता है और इसकी क्षमता प्रतिदिन 8 टन कचरे को नष्ट करने की है। कचरे से बायो गैस उत्पादन के साथ-साथ नगर पालिका जैविक खाद भी बना रही है।
इससे मसूरी जैसे पर्यटन स्थल पर कचरे की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से समाधान संभव हो सका है। नगर निकायों द्वारा कचरा निस्तारण के इस तरीके से ईको सिस्टम और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बन रहा है।
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