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अद्भुत प्रयासों से कचरा प्रबंधन की परिभाषा बदलते बल्क वेस्ट जनरेटर्स

तमिलनाडु में चेन्नई नगर निगम द्वारा चेत्पेट में स्थापित किया गया 100 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला बायो-सीएनजी प्लांट आज करीब 500 बल्क वेस्ट जनरेटर्स (बीडब्ल्यूजी) से मिलने वाले फूड/ऑर्गेनिक वेस्ट से संचालित हो रहा है। इस प्रक्रिया के जरिए गैस का उत्पादन किया जा रहा है, जिसे खुले बाजार में बेचा जा रहा है। यहां इस तरह के दो प्लांट सुचारू रूप से संचालित हैं, वहीं सौ-सौ टीपीडी क्षमता के पांच अन्य प्लांट्स का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

बल्क वेस्ट जनरेटर्स में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, स्कूल और कॉलेज, कार्यक्रम स्थल, छोटे-बड़े होटल, ढाबे या रेस्तरां, केंद्र या राज्य सरकार के विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, निजी कंपनियां, छोटे-बड़े अस्पताल एवं नर्सिंग होम आदि जैसी इकाइयां शामिल हैं, जो प्रतिदिन सौ किलो से ज्यादा कचरा उत्पन्न करती हैं।

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की वार्षिक रिपोर्ट और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के एक अनुमान के अनुसार बीडब्ल्यूजी इकाइयों की वजह से शहरों पर तेजी से कचरे का बोझ बढ़ता है, जो देशभर के शहरों से निकलने वाले कुल डेढ़ लाख टन कचरे का 30 से 40 प्रतिशत तक होता है। इस तरह अनुमान के मुताबिक देशभर के शहरों में हर दिन 48 से 64 हजार टन कचरा बीडब्ल्यूजी से आता है। मगर अब शहरों के हालात बदल रहे हैं, जहां बीडब्ल्यूजी अपने अद्भुत प्रयासों से समाधान की राह दिखाकर कचरा प्रबंधन की नई दिशा तय कर रहे हैं।

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चंडीगढ़ में बल्क वेस्ट जनरेटर्स से भारी तादाद में मिलने वाले कचरे के प्रबंधन संबंधी चुनौती से निपटने के लिए सेक्टर-49 में तेजी से काम करने वाली पहली इंस्टैंट मिक्सड वेस्ट प्रोसेसिंग मशीन स्थापित की गई। यह बल्क वेस्ट जनरेटर्स के वेस्ट प्रोसेसिंग के काम को डिसेंट्रलाइज करते हुए कुशलता से निस्ताकरण की प्रक्रिया को पूरा कर रहा है। पुणे, राजामहेंद्रवरम और इंदौर जैसे शहरों ने बीडब्ल्यूजी द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट प्रोत्साहन योजनाएं भी शामिल की हैं जो बहुत प्रभावी पाई गई हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी और इंप्लीमेंटेशन पर काम कर रहा है।

अपने प्रोग्राम में केंद्र ने बीडब्ल्यूजी द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की ओर भी ध्यान केंद्रित किया है। इसमें मौजूदा मैकेनिज्म को समझकर अच्छे समाधान तलाशने और सुधार कार्यों की सिफारिश के लिए हरियाणा के गुरुग्राम और उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थापित व्यवस्थाओं का अध्ययन किया। इस विषय पर स्टेकहोल्डर्स से बातचीत सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों अध्ययनों से मिली सीख दो रिपोर्ट्स में शामिल की गई।

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गुरुग्राम जिले के अंतर्गत आने वाले मानेसर शहर की नगर निगम ने मॉनसून ब्रीज सोसायटी की कहानी को साझा किया, जिसमें बताया गया कि किस तरह इस बल्क वेस्ट जनरेटर सोसायटी ने अपने दैनिक गीले कचरे के प्रबंधन के लिए सुंदर सेटअप तैयार किया है।

यहां रेजिडेंशियल वेलफेयर सोसायटी और स्थानीय निवासियों ने वेस्ट से कंपोस्ट बनाने के प्लांट की जिम्मेदारी खुद संभाली हुई है, जो अपने यहां रोजाना निकलने वाले गीले कचरे का सफलतापूर्वक निस्तारण कर रहे हैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

वहीं गुरुग्राम में बीडब्ल्यूजी को पंजीकृत और प्रबंधित करने के लिए एक पोर्टल भी शुरू किया है, इसमें नगर निगम ने सीएसई की मदद से नागरिकों द्वारा संचालित ऑनलाइन प्रणाली की व्यवस्था की है, जिस पर सभी इकाइयों से उत्पन्न कचरे का रेकॉर्ड भी अपडेट रहता है। यह अभ्यास दर्शाते हैं कि भविष्य में बीडब्ल्यूजी का योगदान स्वच्छता में महत्वकारी होगा।

आगरा के राजनगर में नगर निगम के माध्यम से तीन डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट टु कंपोस्ट प्लांट स्थापित किए गए हैं, जहां पर 2000 के करीब बल्क वेस्ट जनरेटर्स से मिलने वाला ऑर्गेनिक वेस्ट स्थायी रूप से प्रबंधित किया जा रहा है।

बल्क वेस्ट के समाधान के लिए आवश्यक प्रक्रिया

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत देशभर के शहरों से प्रतिदिन निकलने वाले डेढ़ लाख टन कचरे में 76 प्रतिशत की हर दिन प्रोसेसिंग की जा रही है।

बल्क वेस्ट जनरेटरर्स को भी कचरा प्रबंधन के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि पर्यावरण भी सुरक्षित रहे। कचरे के समाधान के लिए बीडब्ल्यूजी को प्रोसेसिंग इकाई का चुनाव भी कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए करना होता है, ताकि वह कम खर्च पर आसपास ही वेस्ट प्रोसेसिंग हो सके। इस तरह वेस्ट सेग्रीगेशन और रीसाइक्लिंग सुनिश्चित हो रही है और उसके माध्यम से रोजगार भी उत्पन्न हो रहे हैं।

इतना ही नहीं, अपशिष्ट को उत्पाद में बदलकर राजस्व उत्पन्न करने के साथ-साथ उसे सर्कुलर इकॉनमी का हिस्सा भी बनाया जा रहा है।

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